Rajasthan Gk Notes – Rajasthan History
मेवाड़ का इतिहास
- उदयपुर + राजसमंद + भीलवाड़ा + चित्तौड़ – मेवाड़
- मेवाड़ का प्राचीन नाम – मेदपाट / प्राग्वाट / शिवि
- ध्येय वाक्य – ‘जो दृढ़ राखे धर्म को ताहि रखे करतार’
- वर्तमान में यह राज चिन्ह जनजाति संग्रहालय – उदयपुर में रखा गया है।
गुहिलादित्य – गुहिल वंश का संस्थापक
बप्पा रावल
– वैद्यनाथ प्रशस्ति – पिछोला झील
इस प्रशस्ति के अनुसार बप्पा रावल को राज्य की प्राप्ति हरित ऋषि के आशीर्वाद से हुई
– रणकपुर प्रशस्ति – पाली
इसके अनुसार बप्पा रावल तथा कालभोज को दोनों अलग अलग व्यक्ति थे
- एकलिंग जी का मंदिर, नागदा (उदयपुर)
– मेवाड़ के इष्ट देव
– निर्माण – बप्पा रावल द्वारा
– लकुलिश या पाशुपत संप्रदाय का मंदिर
नोट – नागदा में (सहस्त्रबाहु) सास बहू का मंदिर पर बना हुआ है
– बप्पा रावल की छतरी – नागदा (उदयपुर)
अल्लट
- इनके समय मेवाड़ की दो राजधानियां थी
– नागदा
– आहड़ - इन्होंने हूण राजकुमारी हरिया देवी से विवाह किया
- इन्होंने मेवाड़ में नौकरशाही का गठन किया
रणसिंह
- इनके समय में गुहिल वंश 2 शाखाओं में बंट गया
– राणा शाखा – इस शाखा का संस्थापक राहप था जिसने सिसोदा गांव में सिसोदिया राजवंश की स्थापना की
– रावल शाखा – इसका संस्थापक क्षेमसिंह था जो मेवाड़ पर शासन करता रहा
जैत्र सिंह –
- इसके समकालीन दिल्ली का शासक इल्तुतमिश था
- इल्तुतमिश ने भुताला के युद्ध में जैत्रसिंह को पराजित किया
- इन्होंने चित्तौड़ को मेवाड़ की राजधानी बनाया
नोट – इस युद्ध की जानकारी जय चंद्र सूरी कृत हम्मीर मद मर्दन में है
तेज सिंह
इनके समय में मेवाड़ चित्र शैली का प्रसिद्ध ग्रंथ श्रावक प्रतिक्रमण चूर्णिन कमल चंद्र द्वारा चित्रित किया गया
प्रश्न
- पशु पक्षियों को प्रधानता देने वाली चित्र शैली – बूंदी
- योगासन मुद्रा किस चित्र शैली की विशेषता है ? – अलवर
- वेश्याओं के चित्र किस चित्र शैली में मिलते हैं ?- अलवर
- बैसरी आभूषण कहां पहना जाता है? – नाक में
समर सिंह
मुख्यतः पुत्र
– रावल रतन सिंह
– कुंभकरण – यह नेपाल चला गया तथा नेपाल में गुहिल वंश की स्थापना की।
रावल रतन सिंह – ( 1302 – 1303)
- रतन सिंह के समकालीन दिल्ली का शासक अलाउद्दीन खिलजी था।
- अलाउद्दीन खिलजी का चित्तौड़गढ़ अभियान 28 जनवरी 1303
- अलाउद्दीन खिलजी ने गंभीरी व बेड़च नदियों के संगम पर डेरा डाला
- 26 अगस्त 1303 को अलाउद्दीन खिलजी का चित्तौड़ पर अधिकार हो गया
- रावल रतन सिंह वीरगति को प्राप्त हुए तथा रानी पद्मिनी के नेतृत्व में 16 स्त्रियों ने जौहर किया
- यह राजस्थान का दूसरा साका तथा चित्तौड़गढ़ का प्रथम साका था
- अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर अधिकार कर के यहां का प्रतिनिधि खिज्र खां को नियुक्त किया तथा चित्तौड़गढ़ दुर्ग का नाम परिवर्तित करके खिज्राबाद कर दिया
Note – धाबाई पीर की दरगाह, चित्तौड़ में चित्तौड़ का नाम खिज्राबाद मिलता है।
आक्रमण के कारण
– अलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्यवादी नीति
– अलाउद्दीन खिलजी की पद्मिनी को प्राप्त करने की इच्छा ( यह वर्णन पद्मावत ग्रंथ में मिलता है)
– चित्तौड़गढ़ दुर्ग का महत्व
पद्मिनी
- गंधर्व सेन की पुत्री
- माता – चंपावती
- अंगरक्षक गोरा (चाचा) और बादल (भाई)
- यह रावल रतन सिंह की पत्नी थी
- पद्मावत ग्रंथ( 1540, मलिक मोहम्मद जायसी) में अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़गढ़ अभियान का कारण पद्मिनी को प्राप्त करना बताया गया है।
- एकमात्र इतिहासकार जिन्होंने पद्मिनी कथा को स्वीकार किया – डॉ दशरथ शर्मा
हम्मीर देव सिसोदिया
- सिसोदिया राजवंश का वास्तविक संस्थापक
- कुंभलगढ़ प्रशस्ति में हम्मीर देव को विषम घाटी पंचानन कहा गया है
बाण माता (उदयपुर )
- सिसोदिया वंश राजवंश की कुलदेवी
- मंदिर का निर्माण हम्मीर देव ने करवाया
नोट –
- कछवाहा राजवंश की कुलदेवी – जमवाय माता
- राठौड़ों की कुलदेवी -नागणेची माता
राणा लाखा
- इस के समय में जावर (उदयपुर) से चांदी की खान मिली
- इन के समय में एक चिड़िया मार बंजारे ने पिछोला झील का निर्माण करवाया ।
- नटनी का चबूतरा इसी झील के तट पर बना हुआ है ।
- राणा लाखा ने वृद्धावस्था में मारवाड़ की राठौड़ राजकुमारी वह रणमल की वहीं हंसा बाई से विवाह किया।
- महाराणा मोकल हंसा बाई व राणा लाखा का ही पुत्र था।
- राणा लाखा के पुत्र कुंवर चूड़ा को मेवाड़ का भीष्म पितामह कहा जाता है।
- झोटिंग भट्ट व घनेश्वर भट्ट राणा लाखा के दरबार में थे
महाराणा मोकल
- पिता – लाखा
- माता – हंसाबाई
- इन्होंने चित्तौड़गढ़ दुर्ग में त्रिभुवन नारायण / समदिश्वर मंदिर का निर्माण करवाया
- चाचा हुआ मेरा ने हत्या की
- कुंभा राणा मोकल व सौभाग्य देवी का पुत्र था
- मन्ना,फ़ंन्ना,विसल मोकल के दरबारी साहित्यकार थे
महाराणा कुंभा – (1433 से 1468) 35 1/2 वर्ष
- पिता – महाराणा मोकल
- माता – सौभाग्य देवी
उपाधियां
- अभिनव भरताचार्य – संगीत ज्ञान
- राणा रासो – साहित्यकारों का आश्रय दाता
- दान गुरु
- हाल गुरु – पहाड़ी दुर्गा का स्वामी
- हिंदू सुरतान
कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति व कुंभलगढ़ प्रशस्ति में महाराणा कुंभा की उपाधियों का उल्लेख मिलता है
प्रश्न
- महाराणा कुंभा किस वाद्ययंत्र को बजाने में निपुण थे ?- वीणा
- कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति के रचयिता – अत्री / महेश
महाराणा कुंभा द्वारा रचित ग्रंथ
- संगीत राज – 5 भाग
- संगीत मीमांसा
- सूड़ प्रबंध
- सुधा प्रबंध
- कामराज रतिसार
- हरि वर्तिका
- नृत्य रत्न कोष
- रसिकप्रिया
- महाराणा कुंभा द्वारा रचित ग्रंथों का उल्लेख कीर्ति स्तंभ प्रशस्ति में है।
– मेवाड़ का ऐसा सिसोदिया शासक जो एक महान संगीतज्ञ, महान योद्धा, महान साहित्यकार था ? – राणा कुंभा
राणा कुम्भा के कार्य
- चाचा व मेरा को मौत के घाट उतारा लेकिन महपा पंवार बचकर निकल जाता है
- महपा पंवार भागकर मोहम्मद खिलजी की शरण में चला जाता है
- दासी भारमली सहायता से रणमल राठौड़ की हत्या करवाई लेकिन रणमल का पुत्र जोधा भाग जाता है
आवल बावल की संधि
- यह संधि कुंभा की दादी हंसा बाई की मध्यस्थता में हुई
- इस संधि के तहत मेवाड़ व मारवाड़ की सीमा का निर्धारण हुआ
- जोधा ने अपनी पुत्री श्रंगार देवी का विवाह कुंभा के पुत्र रायमल के साथ किया
Q. जोधपुर नगर की स्थापना राव जोधा ने कब की ? – 1459
सारंगपुर का युद्ध –
- मध्य प्रदेश, 1437
- राणा कुंभा मेवाड़ मोहम्मद खिलजी मालवा के बीच हुआ
- युद्ध का कारण – मोहम्मद खिलजी द्वारा महपा पंवार को शरण प्रदान करना
- सारंगपुर विजय के उपलक्ष में महाराणा कुंभा ने विजय स्तंभ का निर्माण करवाया
विजय स्तंभ
- शिल्पी – जेता, नापा, पोमा, पुंजा प्रमुख शिल्पी
- निर्माण – कुंभा
- भगवान विष्णु को समर्पित
- राजस्थान की प्रथम इमारत जिस पर डाक टिकट जारी किया गया।
- वर्तमान में यह राजस्थान पुलिस का प्रतीक चिन्ह है।
- डॉ. गोट्ज ने विजय स्तंभ को भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश कहा
कीर्ति स्तंभ
नागौर का शम्स खां महाराणा कुंभा की सहायता से शासक बनता है लेकिन शासक बनने के बाद संधि की शर्ते मानने से इंकार कर देता है इस स्थिति में महाराणा कुंभा ने शम्स खां पर आक्रमण किया और शम्स को भागकर गुजरात के शासक कुतुबुद्दीन के पास चला गया
चंपानेर की संधि
- यह संधि कुतुबुद्दीन (गुजरात)और मोहम्मद खिलजी (मालवा) के बीच हुई
- इस संधि के तहत इन दोनों ने यह तय किया कि हम दोनों मिलकर मेवाड़ पर आक्रमण करेंगे तथा विजित मेवाड़ को आधा-आधा बांट लेंगे
महाराणा कुंभा के निर्माण कार्य
- कविराजा श्यामल दास की पुस्तक वीर विनोद के अनुसार मेवाड़ के 84 दुर्गों में से 32 दुर्गों का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया
- महाराणा कुंभा को स्थापत्य कला का जनक कहा जाता है।
कुंभलगढ़ दुर्ग – (राजसमंद)
- निर्माता – महाराणा कुंभा
- वास्तुकार – मंडन
- 9 प्रवेश द्वार
- आरेठ पोल – मुख्य द्वार
- महाराणा प्रताप का जन्म – 9 मई 1540
- दीवारों की लंबाई 36.5 किलोमीटर
- उड़ना राजकुमार कुंवर पृथ्वीराज सिसोदिया की छतरी
- मुगलों का अधिकार – 1578
- “सिर पर रखी पगड़ी गिर जाती है” किसने कहा – अबुल फजल
- महाराणा उदय सिंह का बचपन व्यतीत हुआ ।
रणकपुर जैन मंदिर – पाली
- निर्माता धरणक शाह(महाराणा कुंभा के शासनकाल में)
- शिल्पी – देपा
- नदी – मथाई
- खम्भों की संख्या – 1444
बैराट का दुर्ग – बदनोर, भीलवाड़ा
कुंभा के दरबारी साहित्यकार
- सारंग व्यास – महाराणा कुंभा के संगीत गुरु
- नाथा – वास्तु मंजरी ग्रंथ लिखा
- रमाबाई – महाराणा कुंभा की पुत्री उपनाम – वागीश्वरी
प्रसिद्ध – ग्रंथ संगीत शास्त्र - सोमदेव – महाराणा कुंभा ने इन्हें कवि राजा की उपाधि दी ।
- कान्ह व्यास – पुस्तक ‘एकलिंग माहात्म्य,
प्रथम भाग
राज वर्णन – कुंभा द्वारा रचित - मंडन – रूपमंडन (मूर्तिकला)
वास्तु मंडन
प्रासाद मंडन
राजबल्लभ मंडन
शकुन मंडन - सोम सुंदर, मुनिसुंदर, माणक्य, जय चंद्र सूरी, भुवन सूरी कुंभा के अन्य दरबारी साहित्यकार थे
– कुंभा की हत्या इनके पुत्र उदा ने की।