Rajasthan Gk Notes

Geography of Rajasthan

गुरुशिखर,सेर, दिलवाड़ा, जरगा,अचलगढ़ (सिरोही)
रघुनाथगढ़ (सीकर), खो (जयपुर),तारागढ़( अजमेर) अलवर बाबरी जयपुर बैराठ
– अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर हैं। कर्नल जेम्स टॉड ने इसे संतों का सिक्का का है। गुरुशिखर को ही हिंदू ओलंपस की संज्ञा दी गई है तथा यह दत्तात्रेय की तपोस्थली है।
– हिमालय पर्वतमाला व दक्षिण में स्थित नीलगिरी की पहाड़ियों के मध्यम भारत की सबसे ऊंची चोटी- गुरु शिखर

– उत्तरी अरावली की सबसे ऊंची चोटी :-
1. रघुनाथगढ़ -सीकर (1055m)
2.खो- जयपुर (920m)
3.भैराच- अलवर

– मध्य अरावली की सबसे ऊंची चोटी :-
1. गौरमजी – अजमेर (934m)
2. मारायजी – अजमेर (933m)
3. तारागढ़ – अजमेर(870m)

– बुकरा की पहाड़ियां अजमेर जिले में स्थित है।
– बिलाली चौटी अलवर जिले में स्थित है।
– सेंदड़ा स्टेशन के पास सर्पाकार चट्टान पाई जाती है।
– घाटी में बसा हुआ शहर अजमेर को कहा जाता है।
– मेरवाड़ा की पहाड़ियां:- मध्य अरावली के क्षेत्र में स्थित है तथा यह पहाड़ियां मारवाड़ को मेवाड़ से अलग करती है।
– बूंदी में अरावली श्रेणियों को आडावल पर्वत के नाम से जाना जाता है।
– कालीखोह पर्वत विस्तार विस्तार जयपुर से आगरा तक है
– Note:- आबू पर्वत खण्ड अरावली का श्रेष्ठ भाग है जो समुद्र तल से लगभग 1200 m ऊँचा है तथा यह ग्रेनाइट द्वारा निर्मित है।तथा इसे ही बैथोलिथ की संज्ञा दी गई है।
– स्थलाकृति के दृष्टिकोण से इसे इन्सेलबर्ग कहा जाता है।

– राजस्थान के प्रमुख पठार:-
– उड़िया का पठार
– आबू का पठार
– मानदेशरा – चितौड़
– लासडिया- उदयपुर
– उपरमाल- चित्तौड़
– काकनवाड़ी -अलवर

– राजस्थान का सबसे ऊंचा पठार उड़िया का पठार (1360 m) है।
– दूसरा सबसे ऊंचा पठार आबू का पठार है यह दोनों सिरोही जिले में है।
– भोराठ का पठार कुंभलगढ़ से लेकर गोगुंदा तक फैला हुआ है यह पठार बंगाल की खाड़ी व जल विभाजक के मध्य का कार्य करता है।
– मैसा के पठार पर चित्तौड़ का किला स्थित है चित्तौड़ दुर्ग क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे विशाल दुर्ग है।
– कांकनवाड़ी का पठार सरिस्का अलवर में है तथा इसी पठार पर कांकनवाड़ी का किला स्थित है इस किले पर औरंगजेब में अपने भाई दाराशिकोह को कैद करके रखा था।
– अरावली पर्वतमाला क्षेत्र की मुख्य फसल मक्का है। दक्षिणी अरावली पर्वतीय क्षेत्र में आदिवासी लोगों के द्वारा जो स्थानांतरित कृषि की जाती है उसे वालरा/ चिमाता कहा जाता है।
स्थानांतरित कृषि पद्धति विश्व की सबसे प्राचीनतम कृषि पद्धति है।

महत्वपूर्ण भौगोलिक शब्दावली:-
भाखर :-
पूर्वी सिरोही में तीव्र ढाल वाली उबड़ – खाबड़ पहाड़ियों को स्थानीय भाषा में भाकर के नाम से जाना जाता है।

गिरवा:-
उदयपुर जिले के आसपास तस्करीनुमा क्षेत्र गिरवा कहलाता है।

मगरा:-
उदयपुर का उत्तर पश्चिमी पर्वतीय भाग जिस क्षेत्र में जरगा पर्वत स्थित है। उसे ही मगरा के नाम से जाना जाता है।

देशहरों प्रदेश :-
उदयपुर में जरगा व रागा पर्वत के मध्य का क्षेत्र देशहरो के नाम से जाना जाता है।
– अरावली पर्वतमाला में सर्वाधिक अंतराल मध्य अरावली के क्षेत्र में पाया जाता है।
– बिजासण का पठार मांडलगढ़ भीलवाड़ा के क्षेत्र पर स्थित है।

– अरावली के प्रमुख दर्रे:- कपि – कच्छवाली, पीपरी
उसे- उदबारी,सरूपघाट
बाप- पखेरिया
शिसुरा- शिवपुरा,सूराघाट
दे- देबारी

पिवला की नाल:- यह मारवाड़ को मेवाड़ से जोड़ती हैं।
सोमेश्वर की नाल:- यह देसूरी पाली के उत्तर में स्थित हैं।
हाथी गुडा की नाल:- यह देसूरी पाली के दक्षिण में स्थित हैं।

● महत्वपूर्ण तथ्य:-
देवगिरी की पहाड़ी- दौसा
मानी पहाड़ी- बयाना
भामटी पहाड़ी- बारां
नानी सिरडी पहाड़ी- पाली हेमकूट पहाड़ी / नीलहिमवन्त पहाड़ी- राजसमंद जिले में स्थित है तथा इस पहाड़ी पर कुंभलगढ़ दुर्ग स्थित है।

● पूर्व मैदानी प्रदेश:- यह प्रदेश राजस्थान के लगभग 23.3 %भाग पर फैला है तथा यहां राजस्थान की लगभग
39% जनसंख्या निवास करती है।
इसी भौतिक प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व पाया जाता है तथा क्षेत्र सामान्यतः सरसो उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
– इस भौतिक प्रदेश में 50 – 80 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है तथा यहां आर्द्र जलवायु पाई जाती है ।
– इस भौतिक क्षेत्र में जलोढ़ /दोमट मिट्टी की प्रधानता है तथा यहां सर्वाधिक सिंचाई कुओं के द्वारा होती है।
– इस भौतिक प्रदेश के धरातल का ढलान दक्षिण से उत्तर की ओर तथा पश्चिम से पूर्व की ओर है।

– पूर्वी मैदानी प्रदेश को सामान्यतः चार खंडों में विभाजित किया गया है –
1. माही बेसीन
2. चंबल बेसिन
3. बनास बेसिन
4. बाणगंगा बेसिन

● दक्षिण पूर्वी पठारी क्षेत्र:- यह सामान्यतः गोंडवाना भू-खण्ड का अवशेष है तथा मालवा के पठार का हिस्सा है।
– यह भौतिक प्रदेश राजस्थान के 6 .89 % क्षेत्र पर फैला हुआ है तथा यहा राजस्थान की 11 % जनसंख्या निवास करती है।
– इस भौतिक प्रदेश में 80 – 120 सेंटीमीटर वर्षा होती है अतः यह सर्वाधिक वर्षा वाला भौतिक प्रदेश है। तथा यहाँ अतिआर्द्र जलवायु पाई जाती हैं। यह भौतिक प्रदेश सोयाबीन उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। तथा इस प्रदेश में कपास,गन्ना, अफीम,तंबाकू आदि फसलें प्रमुख रूप से उत्पादित होती हैं।
– यह भौतिक प्रदेश ही हाड़ौती विध्यन कगार, ढक्कनलावा क्षेत्र से संबंधित है।

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