राजस्थान में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ (Rajasthan ki Bahu Uddesheey Pariuojanayen)
Rajasthan ki Bahu Uddesheey Pariuojanayen (राजस्थान में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ) : नमस्कार दोस्तों, CrazStudy.in में आपका स्वागत है इस आर्टिकल में हम राजस्थान की बहुउद्देशीय परियोजना, भाखड़ा नांगल बाँध परियोजना, भाखड़ा बाँध, भाखड़ा बाँध से सम्बन्धित प्रमुख आँकड़े, नाँगल बाँध, भाखड़ा नहर, चम्बल नदी परियोजना, गाँधी सागर बाँध, व्यास परियोजना, माही बजाज सागर परियोजना इन सभी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करगे। राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजना PDF राजस्थान में होने वाले विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अति महत्वपूर्ण है
राजस्थान के आधे से ज्यादा भाग पर मरुस्थल के होने तथा यहाँ पर ओसत वर्षा के कम होने के कारण समय समय पर पीने के पानी, सिंचाई एवं विद्युत की आपूर्ति हेतु विभिन्न परियोजनाएं शुरू हुई। इन परियोजनाओं के अंतर्गत नदियों पर बांध बनाकर वहां से राजस्थान में पेयजल एवं कृषि के लिए नहरें निकली गई तथा विधुत आपूर्ति के लिए विद्युत सयंत्र लगाए गए।
इस प्रकार इस पोस्ट में हम राजस्थान में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे
● “जल संपदा | बहुउद्देश्यीय परियोजना “:-
– जलसंपदा ( सिंचाई के साधन)
– संपूर्ण राष्ट्र की कुल जल सम्पदा का 1% राजस्थान में उपलब्ध है। (सतही जल)
– 25 जिलों में 137 सिंचाई परियोजनाओं के पुनर्वास और नवीनीकरण के लिए राजस्थान जल क्षेत्र आजीविका सुधार परियोजना को जाइका से ऋण सहायता प्राप्त करने के लिए मंजूरी दी गई है।
– इस परियोजना के तहत कुल सिंचित क्षेत्र 4.70 लाख हैक्टेयर है।
● “सिंचाई के प्रमुख साधन”:-
1. नलकूप:-
वर्तमान राजस्थान में सिंचाई नलकूपों के द्वारा होती है, नलकूपों के द्वारा सर्वाधिक सिंचाई जोधपुर, भरतपुर जिलों में होती है।(पूर्वी राजस्थान)
2. कुँए:-
नलकूपों के बाद वर्तमान में इसका दूसरा स्थान है।
कुओ के द्वारा सर्वाधिक सिंचाई जयपुर क्षेत्र में होती है।
(उत्तर पूर्व)
3. तालाब:-
राजस्थान के दक्षिणी व दक्षिणी पूर्व में मुख्य तालाब पाए जाते हैं।
– तालाबों से सर्वाधिक सिंचाई भीलवाड़ा में होती है।
4. नहर:-
सर्वाधिक सिंचाई- श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़।
गंगनहर से गंगानगर में 50% सिंचाई होती है।
– जबकि चंबल नहर से सर्वाधिक सिंचाई बूंदी जिले में होती है।
● “बहुउद्देशीय परियोजनाएं”:-
– ऐसी परियोजनाएं जिनके एकाधिक उद्देश्य होते हैं अर्थात जिनमें सिंचाई, कृषि, पशुपालन, पेयजल, जल विद्युत उत्पादन बाढ़ नियंत्रण आदि उद्देश्य निहित होते है।
राजस्थान में दो प्रकार की बहुउद्देश्य परियोजनाएं है
- राजस्थान की स्वयं की बहुउद्देश्य परियोजनाएं
- राजस्थान की स्वतंत्र साझे वाली बहुउद्देश्य परियोजनाएं
राजस्थान की स्वयं की बहुउद्देश्य परियोजनाएं
(i) जाखम परियोजना –
- यह परियोजना प्रतापगढ़ जिले में जाखम नदी पर संचालित है
- इस परियोजना के तहत राजस्थान सबसे ऊँचा बांध जाखम बांध बनाया गया है जिसकी ऊंचाई 81 मीटर है
- इस परियोजना से 5.5 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है
(ii) अनास परियोजना –
- यह परियोजना बाँसवाड़ा जिले में अनास नदी पर संचालित है
- इससे 140 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है
2.राजस्थान की स्वतंत्र साझे वाली बहुउद्देश्य परियोजनाएं
(i) भाखड़ा – नांगल परियोजना –
- यह परियोजना सतलज नदी पर स्थित है
- यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- देश की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना है।
- 1908 में पंजाब के गर्वनर लुईस डेन के मस्तिष्क में इस परियोजना का विचार आया।
- 1948 में इस परियोजना पर कार्य प्रारंभ हुआ।
- इस परियोजना से सतलज नदी पर दो बांध बनाए गये हैं- भाखड़ा बांध, नांगल बांध ।
- भाखड़ा बांध –
- यह बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश में स्थित है
- यह सतलज नदी पर बनाया गया है।
- 17 नवम्बर 1955 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु द्वारा इसकी आधारशिला रखी गई
- अमेरिकी इंजीनियर स्लोकेम हार्वे के निर्देशन में 1962 में इसका निर्माण पूरा हुआ ।
- भारत का सबसे ऊँचा गुरुत्वीय बांध जिसकी ऊंचाई 225 मीटर है
- यह एशिया का सबसे ऊंचा गुरुत्वीय सीधा कंक्रीट द्वारा निर्मित बांध है।
- ऊंचाई- 225. 55 मीटर,
- लंबाई- 518.16 मीटर।
- जवाहरलाल नेहरू ने 1963 में इसे राष्ट्र को समर्पित किया तथा इसे चमत्कारिक विराट वस्तु की संज्ञा दी।
- जवाहरलाल नेहरू ने ही बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं को आधुनिक भारत का मंदिर कहा है।
- इस परियोजना में राजस्थान की जल व विद्युत दोनों में हिस्सेदारी 15.52% है। (कुल विद्युत् उत्पादन 1493 MW है जिसमे से राजस्थान की हिस्सेदारी 15.52 % अर्थात 227.32 MW है )
- भाखड़ा – नांगल परियोजना से राजस्थान में सर्वाधिक सिंचाई हनुमानगढ़ जिले में होती है।
- जबकि चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर, झुंझुनूं, बीकानेर जिलो को विद्युत प्राप्त होती हैं।
2. नांगल बांध –
- निर्माण – 1952 952 में यह बांध बनकर तैयार हुआ।
- यह एक जल विद्युत् परियोजना है
- यह बांध रोपड़, पंजाब में स्थित है
- इस बांध की ऊंचाई- 29 मीटर तथा लंबाई- 340. 8 मीटर है
- इस बांध से सिंचाई हेतु दो नहरें निकाली गई हैं।
- बिस्ट दोआब नहर – पंजाब
- भाखड़ा नहर – पंजाब + हरियाणा और राजस्थान (हनुमानगढ़ )
नोट –
- भाखड़ा नांगल परियोजना से राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में सिंचाई की जाती है
- इस परियोजना में हिमाचल प्रदेश का हिस्सा केवल जल विधुत उत्पादन में ही हैं।
2. व्यास परियोजना –
- यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान की संयुक्त परियोजना है।
- इस परियोजना से राजस्थान को 477 MW विद्युत् की प्राप्ति होती है ।
- इस परियोजना के अंतर्गत व्यास नदी पर दो बांध बनाए गए हैं।
- पोंग बांध:-हिमाचल प्रदेश
- व्यास नदी पर पोंग नामक स्थान पर पोंग बाँध का निर्माण किया गया है।
- पोंग बांध को बनाने का प्रमुख उद्देश्य शीतकाल में इंदिरा गांधी नहर को अतिरिक्त जल उपलब्ध करवाना है ताकि इसकी जल की आपूर्ति को बनाए रखा जा सके।
- जलविद्युत उत्पादन
- राजस्थान की हिस्सेदारी – 59 %
2. पडोह बाँध / देहर बांध – हिमाचल प्रदेश
- इसके जलविद्युत् उत्पादन में राजस्थान की हिस्सेदारी 20 % है
- राजीव लोंगेवाला समझौता 1985 में हुआ था ।
- रावी – व्यास जल विवाद निपटारे के लिए 1986 में ईराडी कमीशन का गठन किया गया।
- इस समझौते के अंतर्गत राजस्थान का लगभग 86 लाख एकड़ फीट अतिरिक्त पानी देने की व्यवस्था की गई।
3. चंबल नदी घाटी परियोजना –
- चम्बल नदी
- यह परियोजना राजस्थान व मध्य प्रदेश की संयुक्त परियोजना है।
- इस परियोजना कुल 386 MW विद्युत् का उत्पादन होता है जिसमे दोनों राज्यों की ही हिस्सेदारी 50:50 अर्थात 193 MW – 193 MW है।
- इस परियोजना के अंतर्गत चंबल नदी पर तीन चरणों में चार बांध बनाए गए हैं।
● “प्रथम चरण”:-
– इस चरण में दो बांध बनाए गए हैं।
- गांधीसागर बाँध –
- मंदसौर, (मध्य प्रदेश)
- 1959 – 60 में निर्मित।
- विद्युत क्षमता – 115 MW विद्युत् का उत्पादन
- नोट – राजस्थान में स्थित नही है ।
2. कोटा बैराज बाँध – कोटा
- कोटा में 1960 में केचमेंट एरिया के दृष्टिकोण से राजस्थान का सबसे बड़ा बाँध हैं।
- इस बांध से सिंचाई हेतु दो नहरें निकाली गई है।
- i. चम्बल नहर – बूंदी
- ii. इंदिरा गाँधी लिफ्ट नहर – करौली / सवाईमाधोपुर
- नोट – चंबल नदी पर स्थित यह एकमात्र बांध है जिसमें कोई विद्युत का उत्पादन नहीं होता है।
● ” द्वितीय चरण”:-
राणा प्रताप सागर बांध – चित्तौड़गढ़
- विद्युत क्षमता -172 मेगावाट
- भराव क्षमता के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा बाँध हैं।
- फरवरी, 1970 में राष्ट्र की समर्पित।
- रावतभाटा चित्तौड़गढ़ में कनाडा की सहायता से देश का दूसरा व राजस्थान का पहला परमाणु बिजलीघर स्थित किया गया है।
- भारत का पहला परमाणु बिजलीघर तारापुर में स्थित है।
- नोट – राजस्थान में सबसे ज्यादा विद्युत् उत्पादन
● ” तीसरा चरण”:-
- जवाहर सागर बांध- बोराबास कोटा
- राजस्थान का पिकअप बांध
- विद्युत क्षमता – 99 मेगावाट
नोट –
- चंबल परियोजना से 4.5 लाख हैक्टेयर भूमि पर सिंचाई होती है।
- चंबल नदी पर 8 लिफ्ट नेहरे बनाई गई है, जिसमें सर्वाधिक सिंचाई बूंदी जिले को होती है।
4. माही बजाज सागर परियोजना –
- माही नदी
- 1966 में हुए समझौते के अनुसार यह गुजरात व राजस्थान की संयुक्त परियोजना है। तथा दोनों की हिस्सेदारी क्रमश 55:45 है।
- माही बजाज सागर परियोजना विद्युत् उपभोग की दृष्टि से केवल राजस्थान की परियोजना है
- आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा में बनाई गई, इस क्षेत्र की सबसे बड़ी परियोजना हैं।
- सर्वाधिक लाभान्वित जिला – बाँसवाड़ा
- इस परियोजना के अंतर्गत तीन बांध बनाए गए हैं।
i. माही बजाज सागर बांध – बोरखेड़ा, बांसवाड़ा
- माही बजाज सागर बांध राजस्थान का सबसे लंबा बांध है।(3.8 किमी.)
- इसका नामकरण प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सेठ जमनालाल बजाज के नाम पर है ।
- इस परियोजना से डूंगरपुर जिले का आसपूरा, सागवाड़ा, शिमलवाडा क्षेत्र बांसवाड़ा जिले का भी जनजातीय क्षेत्र लाभान्वित हो रहा है।
- इस परियोजना को आदिवासियों की स्वर्णिम परियोजना कहा गया है।
ii. कागजी / कागदी / कागङी पिकअप बांध –
– परियोजना के अंतर्गत ही इस बांध का निर्माण बांसवाड़ा जिले में किया गया है।
iii. कडाना बाँध “:- गुजरात
– इस परियोजना के अंतर्गत उत्पादित होने वाली समस्त विद्युत का उत्पादन का प्रयोग केवल राजस्थान के द्वारा ही किया जाएगा ।
5. राहूघाट परियोजना –
- चम्बल नदी
- यह परियोजना राजस्थान तथा मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना है जिसमे दोनों ही राज्यों की हिस्सेदार 50 :50 है ।
- इस परियोजना की कुल विद्युत् क्षमता 158 मेगावाट है किस्मे राजस्थान तथा मध्यप्रदेश दोनों की हिस्सेदारी 79 MW – 79 MW है ।
- राजस्थान में इस परियोजना से सबसे लाभान्वित जिला करौली है ।
राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजनाएं
– अप्रैल 1978 से सिंचाई परियोजनाओं पर निम्न वर्गीकरण लागू होता है।
राजस्थान में तीन प्रकार की सिंचाई परियोजनाएं है
- वृहद सिंचाई परियोजनाये
- मध्यम सिंचाई परियोजना
- लघु सिंचाई परियोजना
- “वृहद सिंचाई परियोजनाये”:-
ऐसी सिंचाई परियोजनाएं जिसका कृषि योग्य कमाण्ड क्षेत्र 10,000 हैक्टेयर से अधिक होता है। तथा लागत 5 करोड़ से अधिक होती है
- गंगनहर परियोजना –
- इसका निर्माण 1922 – 1927में बीकानेर महाराजा गंगा सिंह के द्वारा करवाया गया।
- गंगा सिंह को आधुनिक भारत का भागीरथ कहा गया है।
- यह राजस्थान की पहली बहुउद्देश्यीय परियोजना है।
- तथा इसे ही विश्व की पहली पक्की नहर माना गया है।
- उद्गम स्थल – यह नहर सतलज नदी से पंजाब के हुसैनीवाला नामक स्थान से निकाली गई है
- राजस्थान में प्रवेश – शिवपुरी हैड, श्रीगंगानगर
- समाप्ति स्थल – शिवपुरी हैड, श्रीगंगानगर
- कुल लम्बाई – 129 किमी.
- राजस्थान में लम्बाई – 17 किमी.
- सर्वाधिक लाभान्वित जिला – श्रीगंगानगर
- गंगनहर की प्रमुख नहरें / शाखाएँ – 4 शाखाएँ – करणी लिफ्ट नहर, लक्ष्मीनारायण लिफ्ट, लालगढ़ लिफ्ट, समीजा लिफ्ट।
- गंगनहर को राजस्थान नहर कि अग्रगामी नहर कहा गया है।
2. इंदिरा गांधी नहर –
- बीकानेर रियासत के सिंचाई इंजीनियर कंवर सेन ने 1948 में लेख बीकानेर रियासत में जल की आवश्यकता में इस नहर की रूपरेखा प्रस्तुत की।
- कंवर सेन को इस नहर का जनक या पिता कहा गया है ।
- इस नहर को राजस्थान की जीवन रेखा, मरू गंगा आदि नामों से जाना जाता है।
- शिलान्यास – 31 मार्च 1958 को तत्कालीन गृह मंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने इस नहर की आधारशिला रखी।
- उद्धाटन / शुभारम्भ – 11 अक्टूबर 1961 को सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन द्वारा
- 2 नवंबर 1984 को राजस्थान नहर का नाम परिवर्तित करके इंदिरा गांधी नहर नाम रखा गया।
- यह नहर सतलज व व्यास नदियों के संगम पर स्थित हरिके बैराज बाँध से निकाली गई है।
राजस्थान फीडर
- उद्गम स्थल – सतलज व्यास नदी , (हरिके बैराज, पंजाब )
- समाप्ति स्थल – मासीतावली हैड, हनुमानगढ़
- राजस्थान फीडर की कुल लंबाई – 204 किलोमीटर(हरिके बैराज से मसीरावली हनुमानगढ़ तक)
- राजस्थान फीडर की पंजाब, हरियाणा में लंबाई 169 किलोमीटर है।
- जबकि राजस्थान में लंबाई 34 किलोमीटर है।
राजस्थान नहर
- उद्गम स्थल – मासीतावली हैड, हनुमानगढ़
- समाप्ति स्थल – मोहनगढ़, जैसलमेर
- नहर की कुल लंबाई 445 किलोमीटर है ।
- लाभान्वित जिले – हनुमानगढ़, गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर
शाखाएं-
दायीं और की शाखाएं | ||
sr.no. | शाखा | जिला |
1. | अनूपगढ़ | श्री गंगानगर |
2. | सूरतगढ़ | श्री गंगानगर |
3. | पुगल | बीकानेर |
4. | दातोर | बीकानेर |
5. | बिरसलपुर | बीकानेर |
6. | चारणवाला | बीकानेर – जैसलमेर |
7. | शहीद बीरबल, | जैसलमेर |
8. | सागरमल गोपा | जैसलमेर |
पूर्व / बायीं ओर की शाखाएं:-
- हनुमानगढ़ – रावतसर एकमात्र पूर्व की ओर
● इंदिरा गांधी नहर-
- उद्गम स्थल – सतलज व्यास नदी (हरिके बैराज, पंजाब)
- राजस्थान में प्रवेश ( Head Point) – मसीतावाली, हनुमानगढ़
- इंदिरा गांधी नहर राजस्थान में प्रवेश श्वरा गांव हनुमानगढ़ से करती है।
- समाप्ति स्थल (Zero Point) – गडरा रोड, बाड़मेर
- इंदिरा गांधी नहर की कुल लंबाई 204+445+90 = 739 किलोमीटर हैं।
- राजस्थान में कुल लम्बाई – 34 +445 + 90 + 569 किलोमीटर
- इंदिरा गांधी नहर की वर्तमान में लंबाई 204+445 = 649 किलोमीटरहैं।(हरिके बैराज से मोहनगढ़ जैसलमेर तक)
- वर्तमान में राजस्थान में लंबाई = 34 + 445 = 479 किलोमीटर
- प्रस्तावित या कुल कमांड क्षेत्रफल – 19.93 लाख हैक्टेयर
- वर्तमान में कमांड क्षेत्रफल – 16.17 लाख हैक्टेयर
- वर्तमान में लाभान्वित जिले – 8 – हनुमानगढ़, श्री गंगानगर, चूरू, बीकानेर, जोधपुर, नागौर, जैसलमेर एवं बाड़मेर
- केवल पेयजल सुविधा वाले जिले – 2 – नागौर, झुंझुनू
- कुल लाभान्वित जिले /प्रस्तावित जिले – 8 + 2 = 10 (बाड़मेर व सीकर – केवल पेयजल सुविधा )
इंदिरा गाँधी नहर का निर्माण तीन चरणों में किया जा रहा है
पहला चरण – हरिके बैराज(पंजाब) से पुंगल (बीकानेर) – राजस्थान फीडर (204 किमी.) + राजस्थान नहर (189 किमी.) = कुल लम्बाई – 393 किमी
दूसरा चरण- पुंगल (बीकानेर) से मोहनगढ़ (जैसलमेर) तक – 256 किमी. – राजस्थान नहर (256 किमी.) – कुल लम्बाई – 256 किमी
तीसरा चरण – मोहनगढ़ (जैसलमेर) से गढ़रा रोड़ (बाड़मेर)तक – 90 किमी. – बाबा रामदेव उपशाखा ( 90 किमी.)
इंदिरा गांधी नहर की लिफ्ट नहरें
1. चौधरी कुंभाराम आर्य लिफ्ट नहर:- बीकानेर, हनुमानगढ़, चूरु, झुंझुनू।
- चौधरी कुंभाराम आर्य लिफ्ट नहर (गंधेली साहबा लिफ्ट नहर ) पर जर्मनी के सहयोग से पेयजल हेतु चुरू तथा झुंझुनू जिलों में आपणी योजना संचालित की जा रही है
2. कंवर सेन लिफ्ट नहर:- बीकानेर, गंगानगर
- सबसे बड़ी लिफ्ट नहर
3. पन्नालाल बारूपाल लिफ्ट नहर:- बीकानेर, नागौर।
4. वीर तेजाजी लिफ्ट नहर:- बीकानेर
- सबसे छोटी लिफ्ट नहर
5. डॉ. करणी सिंह लिफ्ट नहर:- बीकानेर, जोधपुर
6. गुरु जंभेश्वर लिफ्ट नहर:- बीकानेर, जोधपुर,जैसलमेर।
7. जय नारायण व्यास लिफ्ट नहर: जोधपुर, जैसलमेर।
● इंदिरा गांधी नहर की पेयजल लिफ्ट –
1. कंवर सेन पेयजल लिफ्ट:- बीकानेर, श्रीगंगानगर
2. गंधेली साहबा लिफ्ट / आपणी पेयजल लिफ्ट:- चूरु, झुंझुनू, सीकर
3. राजीव गांधी पेयजल लिफ्ट:- जोधपुर
– स्कांडा सिस्टम –
यह एक इलेक्ट्रॉनिक तकनीक है जो पानी को वितरित वे नियंत्रित करती है।
– इंदिरा गांधी नहर से 8 जिलों में सिंचाई जबकि 9 जिलों में पेयजल की सुविधा प्राप्त होती है।
– झुंझुनू जिले को केवल पेयजल की सुविधा प्राप्त होती है।
Note:- इंदिरा गाँधी नहर के कारण लवणीय की समस्या में वृद्धि हुई है।
– इसी नहर के कारण सेम समस्या उत्पन्न हुई हैं, बडोप्पल (हनुमानगढ़) सेम समस्या के लिए प्रसिद्ध है।
– इसके निवारण के लिए योजना चलाई जा रही है तथा इसी समस्या के निवारण हेतु यूकेलिप्ट्स पौधा लगाया जाता है।
3. राजीव गांधी सिद्धमुख नहर परियोजना –
- इसकी शुरुआत 2002 में हुई।
- रावी, व्यास नदियों के अतिरिक्त जल का प्रयोग इस नहर में किया जाता है।
- इस परियोजना के लिए जल भाखड़ा – नांगल हैड वकर्स से लाया गया।
- इससे हनुमानगढ़, चूरु जिले लाभान्वित हो रहे हैं।
रावी – व्यास समझौता – 1986 –
- इराड़ी कमीशन की सिफारिश पर यूरोपियन संघ की वित्तीय सहायता से 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी के द्वारा सिद्धमुख नहर परियोजना का शिलान्यास किया गया
- इस नहर के निर्माण में आर्थिक सहयोग यूरोपीय यूनियन के द्वारा किया जा रहा था।
- परंतु 1998 के परमाणु परीक्षण के बाद सहयोग बंद हो गया बाद में नाबार्ड के द्वारा सहयोग दिया गया तब इसका कार्य पूरा हुआ।
- राजीव गांधी सिद्धमुख नहर परियोजना से हनुमानगढ़, चूरु जिलों के लाभान्वित क्षेत्र नोहर व भादरा तहसील – हनुमानगढ़ तथा चुरू की राजगढ़ तहसील।
4. नर्मदा नहर परियोजना –
- यह परियोजना गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है।
- इस परियोजना के अंतर्गत नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बाँध (गुजरात) बनाया गया है।
- नर्मदा बचाव आंदोलन का संबंध मेघा पाटेकर से है ।
- इस परियोजना का उद्गम स्थल गुजरात में सरदार सरोवर परियोजना है ।
- इसका राजस्थान में प्रवेश जालौर के सीलू ग्राम से होता है ।(18 मार्च 2008)
- समाप्ति स्थल / Ziro Point – गुढ़ामालानी (बाड़मेर)
- इसकी कुल लम्बाई 532 किलोमीटर है जबकि इसकी राजस्थान में लम्बाई 74 किलोमीटर है।
- इस परियोजना से राजस्थान के 2 जिले जालौर व बाड़मेर लाभान्वित हो रहे हैं।
- इस परियोजना से लाभान्वित क्षेत्र बाड़मेर जिले की गुढ़ामालानी तहसील तथा जालौर जिलेकी सांचौर तहसील है।
- इस परियोजना से सर्वाधिक लाभान्वित जिला जालौर हैं।
- इस नहर में तीन लिफ्ट बनाई गई है:-
1. सांचौर लिफ्ट:- जालौर
2. भादरेडा लिफ्ट:- जालौर
3. पनोरिया लिफ्ट:- बाड़मेर
– यह देश की पहली परियोजना है जिसमें फव्वारा पद्धति को अनिवार्य बनाया गया है।
5. गुड़गांव नहर / यमुना लिंक नहर –
- यह राजस्थान व हरियाणा की संयुक्त परियोजना हैं।
- जो यमुना नदी से बनाई गई है।
- राजस्थान में प्रवेश – जुरैरा गाँव (कामां, भरतपुर)
- भरतपुर जिला ( कामां तहसील) इससे सर्वाधिक लाभान्वित हो रहा है।
- राजस्थान में गुडगांव नहर की लम्बाई 58 किलोमीटर हैं।
6. भरतपुर नहर-
- यह राजस्थान व उत्तर प्रदेश की संयुक्त योजना है।
- इसे भी यमुना नदी से निकाला गया है।
- उद्गम – आगरा नहर (उत्तर प्रदेश )
- कुल लम्बाई – 28 किमी. जिसमे से 16 किमी. उत्तरप्रदेश में है जबकि 12 किमी. राजस्थान में स्थित है।
- इससे भरतपुर जिला सर्वाधिक लाभान्वित हो रहा है ।
7. जवाई परियोजना –
- जवाई नदी (सुमेरपुर, पाली)
- जवाई बांध का निर्माण 1946 – 1956 में महाराजा उम्मेदसिंह नेक्र्वाया था
- यह बांध पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है ।
- जवाई बांध को मारवाड़ का अमृत सरोवर कहा जाता है ।
- जवाई परियोजना में पाणी की आवक को बनाए रखने के के लिए उदयपुर में सेई नदी पर सेई परियोजना बने गई है ।
8. बीसलपुर परियोजना –
- बनास नदी (टोंक)
- यह राजस्थान की सबसे प्राचीन परियोजना / बांध है ।
- इसका निर्माण अजमेर के चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ ने करवाया था ( अजमेर के चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ को बीसलदेव के नाम से जाना जाता है)
- इस परियोजन से लाभान्वित जिले टोंक, जयपुर, अजमेर तथा भीलवाड़ा है।
9. इसरदा परियोजना –
- बनास नदी (सवाईमाधोपुर)
- इस पतियोजना का उद्देश्य जयपुर तथा टोंक के सीमावर्ती गांवों में पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवाना है।
10. भीखाभाई सागवाड़ पर्रियोजना – माही नदी (डूंगरपुर)
2. “मध्यम सिंचाई परियोजना”:-
कृषि योग्य कमांड क्षेत्र 2000 हैक्टेयर से 10,000 हैक्टेयर तक होता है। तथा लागत 10 लाख से 5 करोड़ तक होती है
राजस्थान में नदियों के प्रवाह तंत्र के अनुसार परियोजनाएं –
आन्तरिक प्रवाह तंत्र –
● मोती झील बांध – रुपारेल नदी (भरतपुर)
– इस झील को भरतपुर की लाइफ लाइन कहा गया है।
– जयपुर की लाइफ लाइन अमीन शाह नाला को कहा गया है।
लूनी नदी तंत्र –
- हेमावास बांध – यह बांध हेमावास (पाली) में बांडी नदी पर बनाया गया है ।
- बांकली बांध – यह बांध बांकली (जालौर) में सुकड़ी नदी पर बनाया गया है ।
पश्चिमी बनास नदी तंत्र
पश्चिमी बनास परियोजना – पश्चिमी बनास नदी (सिरोही)
साबरमती नदी तंत्र –
- सेई परियोजना – सेई नदी उदयपुर
- मानसी वाकल परियोजना – मानसी वाकल नदी (उदयपुर)
नोट – राजस्थान की सबसे लंबी रेल सुरंग – देवास जल सुरंग उदयपुर (लम्बाई 11.2 किलोमीटर)
माही नदी तंत्र
- सोम कागदर परियोजना – सोम नदी – उदयपुर
- सोम – कमला -अंबा परियोजना – सोम नदी – डूंगरपुर
बाणगंगा नदी तंत्र
- अजान बांध – बाणगंगा – गंभीरी नदी – भरतपुर
- इससे केवल घना पक्षी विहार को जलापूर्ति होती है
II. बंध बारैठा – कुकुंद नदी – भरतपुर
बनास नदी तंत्र
क्रम संख्या | परियोजना / बांध | नदी | जिला |
1. | नंदसमंद परियोजना | बनास नदी | राजसमंद |
2. | मेजा बांध | कोठारी नदी | भीलवाड़ा |
3. | नारायण सागर बांध | खारी नदी | अजमेर |
4. | मोरेल परियोजना | मोरेल नदी | सवाईमाधोपुर |
5. | अड़वान बांध | मांसी नदी | भीलवाड़ा |
चंबल नदी तंत्र
क्रम संख्या | परियोजना / बांध | नदी | जिला |
1. | तकली परियोजना | तकली नदी | कोटा |
2. | सावन भादो परियोजना | सावन भादो नदी | कोटा |
3. | चाकण परियोजना | चाकण नदी | बूंदी – कोटा |
4. | ल्हासी परियोजना | ल्हासी नदी | बारां |
5. | विलास परियोजना | विलास नदी | बारां |
6. | बैथली | बैथली | बारां |
7. | औराई परियोजना | औराई | चित्तौड़गढ़ |
8. | पीपलाद परियोजना | पीपलाद | झालावाड़ |
9. | गरदड़ा परियोजना | गांगली- डूंगरी / गणेशी नदी | बूंदी |
10. | हरीश चंद्र सागर परियोजना | कालीसिंध नदी | कोटा |
11. | भीमसागर परियोजना | परवन नदी | झालावाड़ |
12. | गागरिन परियोजना | कालीसिंध नदी – आहू नदी | झालावाड़ |
अन्य परियोजनाएं
- माधव सागर बांध – दोसा
- टोरडी बांध – टोंक
3. “लघु सिंचाई परियोजना”:-
कृषि योग्य कमांड क्षेत्र 2000 हैक्टेयर से कम हो तथा लागत 10 लाख रूपये से कम हो
क्रम संख्या | परियोजना / बांध | जिला |
1. | बावरिया बांध | अलवर |
2. | समर सरोवर | अलवर |
3. | खोह बांध | करौली |
4. | बत्तीसा नाला | सिरोही |
5. | शंकर माता जी | बूंदी |
6. | भीमनी | झालावाड़ |
7. | बांदी सेंदड़ा | जालोर |
8. | आकोली | जालोर |
9. | माला देवी बांध | चित्तौड़ |
अन्य परियोजनाए
● “सुजलम परियोजना”:-
– बाड़मेर जिले में खारे पानी को मीठा पानी जल में परिवर्तित करने की यह योजना है।
– यह परियोजना भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र व जोधपुर में स्थित रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला के संयुक्त प्रयासों से चलाई जा रही है।
● “पांचना बाँध”:- करौली
– अमेरिका के आर्थिक सहयोग से बालू मिट्टी के द्वारा इस बांध का निर्माण किया गया।
– अर्थात यह मिट्टी से बना राजस्थान का सबसे बड़ा बांध हैं।
– यह बांध पांच छोटी-छोटी जलधाराओं के संगम पर स्थित है – भद्रावती , अटा, भैसावट, माची, बरखेड़ा।
● राजस्थान की जिले अनुसार महत्वपूर्ण परियोजना –
- उदयपुर:- साबरमती, पीपलोन, मामेर, रोहिणी उबापन ।
- सिरोही:- हड़मतिया, भैसासिंघ ।
- कोटा :- तकली, अलनिया, अहमदी, हरिश्चंद्र सागर ।
- झालावाड़ :- पीपलाद, गागरिन, राजगढ़, पृथ्वीपुरा, रेवा, भीमनी, कनवाडा ।
- बारां :- लहासी, खिरिया, बैथिली ।
- बूंदी:- गरदड़ा, गुढा, चाकण, संतूर माताजी।
- सवाई माधोपुर:- मोरेल, रिगजिंग ऑफ मानसरोवर बांध ।
- करौली:- खोह, दोहरी माइनर ।
- धौलपुर :- पार्वती ।
- चित्तौड़गढ़ :- पिंड, धांधड़ा ।
- जालोर :- आकोली, बाडीसेदडा ।
राजस्थान की प्रमुख सिंचाई परियोजना PDF
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