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राजस्थान में पशु संपदा / पशुधन

राजस्थान में पशु संपदा –

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  • राजस्थान में पहली बार पशुगणना दिसंबर,1919 से अप्रैल, 1920 की गई।
  • देश की कुल पशु शक्ति का राजस्थान में 35% हिस्सेदारी है।
  • राजस्थान में देश की कुल दुग्ध उत्पादन का 11%,बकरा मांस का 35% तथा ऊन का 31% उत्पादन होता है।
  •  स्वतंत्र भारत की प्रथम पशु गणना 1951 में करवाई गई।
  • वर्तमान राजस्थान की प्रथम पशु गणना 1961 में की गई।
  • राजस्थान में प्रथम ग्रामवार पशु गणना 1977 में की गई।
  • राजस्थान में प्रथम नस्लवार पशु गणना 2007 में की गई।
  • वर्तमान राजस्थान में 20 वी पशु गणना  2017 में की गई जिसका प्रकाशन पशुपालन विभाग द्वारा 16 अक्टूबर 2019 में किया गया।
  • राजस्थान में पशु गणना का कार्य राजस्व मंडल अजमेर के द्वारा प्रति 5 वर्षों में किया जाता है।

 

20 वी पशु गणना 2017 (16 अक्टूबर 2019 को प्रकाशित हुई) के अनुसार कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े

  • राजस्थान में कुल पशुओं की संख्या 5 करोड 68 लाख है जिसमें 1.66% की कमी दर्ज की गई है जबकि19वीं जनगणना 2012 के अनुसार राजस्थान में कुल पशुओं की संख्या 5 करोड़ 77 लाख थी।
  • पशु संपदा की दृष्टि से राजस्थान का भारत में दूसरा स्थान है जबकि उत्तर प्रदेश भारत में प्रथम स्थान रखता है।

गोवंश – 

  • कुल संख्या – 1.39 करोड़
  • कमी / वृद्धि – 4.41% की वृद्धि
  • भारत में स्थान – छठा

भेंस – 

  • कुल संख्या – 1.37 करोड़
  • कमी / वृद्धि – 5.53% की वृद्धि
  • भारत में स्थान – दूसरा

भेड़

  • कुल संख्या – 0.79 करोड़
  • कमी / वृद्धि – 12.95% कमी
  • भारत में स्थान – चौथा

बकरी 

  • कुल संख्या – 2.08 करोड़
  • कमी / वृद्धि – 3.81% की कमी
  • भारत में स्थान – प्रथम

ऊंट 

  • कुल संख्या –  2.13 लाख
  • कमी / वृद्धि – 34.69% की कमी
  • भारत में स्थान – प्रथम

अश्व 

  • कुल संख्या – 0.34 लाख
  • कमी / वृद्धि – 10.85% की कमी
  • भारत में स्थान – तीसरा

गधा

  • कुल संख्या – 0.23 लाख
  • कमी / वृद्धि – 7.1 3% कमी
  • भारत में स्थान -प्रथम

 

“राजस्थान में डेयरी विकास”:-

  • राजस्थान में डेयरी विकास कार्यक्रम अमूल डेयरी की तर्ज पर सहकारिता के सिध्दांत पर आधारित है।
  • दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हेतु :-
  • सन् 1970 में ऑपरेशन फ्लड चलाया गया ।
  • श्वेत क्रांति का जनक वर्गीज कुरियन हैं।
  • वर्गीज कुरियन ने आंणद( गुजरात) में अमूल डेयरी की स्थापना की ।
  • श्वेत क्रांति चौथी पंचवर्षीय योजना की देन है।

● “डेयरी का राज्य में त्रिस्तरीय ढांचा”:-

  1. शीर्ष स्तर:- राज्य स्तर पर
    – राजस्थान सहकारी डेयरी संघ ।
  2.  जिला स्तर:- जिला दुग्ध उत्पादन केंद्र
  3. प्राथमिक स्तर:- प्राथमिक दुग्ध सहकारी संकलन समिति।
  • राज्य में सबसे पुरानी डेयरी :- पदमा ( अजमेर)
  • सबसे बड़ी डेयरी:- रानीवाड़ा ( जालौर)
  • भारत का सबसे बड़ा दूध पैकिंग सेंटर :- कोटपूतली

● राजस्थान की प्रमुख पशु नस्लें –

● गोवंश की नस्लें-

1. राठी – भारत में सर्वाधिक गौवंश मध्यप्रदेश में जबकि राजस्थान का छठा स्थान है।

  • गोवंश की राठी नस्ल लाल सिन्धी और साहिवाल की मिश्रित नस्ल है।
  • यह नस्ल राजस्थान में सर्वाधिक दूध देने वाली नस्ल है।
  • इसका विस्तार क्षेत्र घग्घर प्रदेश( गंगानगर, हनुमानगढ़ ) है।
  • राठी नस्ल की गाय को राजस्थान की कामधेनु कहा जाता है।

2. हरियाणवी नस्ल –

  • गोवंश की इस नस्ल का मूल स्थान रोहतक (हरियाणा) है ।
  • इसका विस्तार क्षेत्र चूरू झुंझुनू सीकर तथा जयपुर में है।

3. नागौरी नस्ल –

  • गोवंश की नागौरी नस्ल का मूल स्थान सुहालक क्षेत्र (नागौर) है।
  • इसका विस्तार क्षेत्र नागौर के आसपास (नागौर, दक्षिणी बीकानेर,जोधपुर) है।
  • नागौरी बेल दौड़ने में तेज, मजबूत, कृषि कार्यो में उत्तम होते हैं ।
  • नागौरी नस्ल तेज धावक नस्ल है जिसका प्रयोग बैलगाड़ी दौड़ तथा जल्लीकट्टू में किया जाता है

4. थारपारकर –

  •  इस नस्ल का मूल स्थान पाकिस्तान का सिंध प्रांत है।
  • इसका विस्तार क्षेत्र राजस्थान का पश्चिमी क्षेत्र (बाड़मेर, जैसलमेर)।
  • थारपारकर राजस्थान में सर्वाधिक पाई जाने वाली गोवंश की देसी नस्ल है।
  • नोट – राजस्थान में डेयरी विकास हेतु सर्वाधिक उपयोगी नस्ल थारपारकर है।

5. कांकरेज –

  • गोवंश की कांकरेज नस्ल का मूल स्थान गुजरात का कच्छ का रण है।
  • इस नस्ल का विस्तार क्षेत्र दक्षिण पश्चिमी राजस्थान (जालौर पाली सिरोही उदयपुर) है।

6. मालवी –

  • मालवी नस्ल का मूल स्थान मालवा प्रदेश (मध्य प्रदेश) है।
  • इसका विस्तार क्षेत्र के दक्षिण एवं दक्षिण पूर्वी राजस्थान (चित्तौड़गढ़, कोटा , झालावाड़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा) है ।

7. गिर / रेंडी /अजमेरा 

  • इस नस्ल का मूल स्थान गिर (गुजरात) है।
  • इसका विस्तार क्षेत्र है अजमेर के आसपास (मध्य राजस्थान) में है।

8. सांचौरी –

  • इस नस्ल का मूल स्थान सांचौर (जालौर) है।
  • इस नस्ल का विस्तार क्षेत्र जालौर के आसपास है।
  • यह एक भारवाहक नस्ल है

9. मेवाती नस्ल या कोठी नस्ल –

  • नस्ल का मूल स्थान मेवात (हरियाणा) है।
  • इसका विस्तार क्षेत्र अलवर, भरतपुर है।

– राजस्थान में सर्वाधिक गोवंश उदयपुर, बीकानेर में तथा न्यूनतम गौवंश धौलपुर में पाया जाता है।

गोवंश की विदेशी नस्लें

  • जर्सी नस्ल – यह एक अमेरिका की नस्ल है इसका विस्तार क्षेत्र पूर्वी राजस्थान है
  • हॉलिस्टिन – यह एक होलेन्ड की नस्ल है
  • रेडडेन – यह डेनमार्क की नस्ल है

● भैंस की नस्लें

  • प्रमुख नस्लें –  मुर्राह, नागपुरी, बदरावरी, सुरति, जफरावाड़ी, मेहसाणा
  • देश में सर्वाधिक भैंस उत्तर प्रदेश में पाई जाती हैं जबकि राजस्थान का दूसरा स्थान है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक भैंस जयपुर, अलवर में पाई जाती हैं जबकि न्यूनतम जैसलमेर में पाई जाती है।
  1. मुर्रा नस्ल- 
  • इस नस्ल का मूल स्थान पाकिस्तान का मोंटगोमरी है।
  • इसका विस्तार क्षेत्र अलवर, जयपुर, भरतपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, उदयपुर व कोटा है।
  • इसे मुरहा, खुंडी या  कुंन्नी नस्ल भी कहते हैं।
  • यह अधिक दूध देने के लिए प्रसिद्ध है।
  • यह नस्ल राजस्थान में सर्वाधिक पाई जाने वाली भेंस की नस्ल है।

2. सुरती नस्ल –

  • इस नस्ल का मूल स्थान सूरत (गुजरात) है ।
  • यह उदयपुर के आस – पास के क्षेत्र (दक्षिण – पश्चिन राजस्थान) में पाई जाती है।

3. जाफरबादी नस्ल –

  • इस नस्ल का मूल स्थान काठियावाड़ (गुजरात) है
  • यह गुजरात में सीमावर्ती जिलों (दक्षिण – पश्चिन राजस्थान) में पाई जाती है ।

4. नागपुरी नस्ल- 

  • इस नस्ल का मूल स्थान महाराष्ट्र का नागपुर है।
  • यह इसका विस्तार क्षेत्र  दक्षिण राजस्थान है।

5. भदावरी नस्ल –

  • इस नस्ल का मूल स्थान उत्तरप्रदेश का यमुनाघाटी है।
  • यह इसका विस्तार क्षेत्र पूर्वी राजस्थान है।
  • सर्वाधिक वसा की मात्रा भदावरी के दूध में पायी जाती है।

6. रथ नस्ल –

  • इस नस्ल का मूल स्थान उत्तरप्रदेश का यमुनाघाटी है।
  • यह इसका विस्तार क्षेत्र पूर्वी राजस्थान है।

● बकरी की नस्लें –  

1. अलवरी(झखराना):- झखराना गाँव( बहरोड़) अलवर
2. बारबरी:- पूर्वी राजस्थान (भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर)।
3. जमनापारी:- हाडौती का पठार (कोटा, बूंदी, झालावाड़)।
4. सिरोही:- सिरोही ।
5. मारवाड़ी /लोही:-  जोधपुर
6. शेखावाटी:- शेखावाटी प्रदेश(चुरू, सीकर, झुंझुनूं)
7. परबतसरी:- परबतसर ( नागौर)

महत्वपूर्ण तथ्य

  • बकरी को गरीब की गाय भी कहा जाता है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक बकरियों वाला जिला बाड़मेर हैं तथा सबसे कम बकरियों वाला जिला धौलपुर हैं।
  • राजस्थान का बकरी पशुधन उत्पादन में प्रथम स्थान हैं।
  • नागौर जिले में वरुण गांव की बकरियां संपूर्ण देश में प्रसिद्ध है।
  • राजस्थान के कुल पशुधन में सर्वाधिक संख्या बकरियों की है।
  • राजस्थान में देश की कुल बकरियों की 27.76 % बकरियां पाई जाती है।
  • बकरी विकास एवं चारा उत्पादन परियोजना रामसर( अजमेर) में स्थित है जिसे राजस्थान सरकार ने स्विट्जरलैंड की सहायता से स्थापित किया है।
  • शेखावाटी नस्ल काजरी द्वारा विकसित बिना सींग की नस्ल है ।
  • लोही / मारवाड़ी नस्ल मांस के लिए प्रसिद्ध है ।
  • बारबरी नस्ल बकरी की सबसे सुन्दर नस्ल है ।
  • अविकानगर, टोंक में बकरी अनुसंधान एवं प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया है।

● भेड़ की नस्ल –

  • प्रमुख नस्लें –  मारवाड़ी, मालवी( मालपुरी), बागड़ी चोखला, खेराड़ी, पुंगल जैसलमेरी, सोनाडी है ।

– राजस्थान में सर्वाधिक भेड़ बाड़मेर में जबकि सबसे कम भेड़ बांसवाड़ा में है।
– देश में राजस्थान का चौथा स्थान है।

  1. मारवाड़ी नस्ल – जोधपुर
  • राजस्थान में भेड़ की सर्वाधिक पाई जाने वाली नस्ल

2. मालपूरी नस्ल – मालपुरा टोंक

  • इसे देशी नस्ल भी कहा जाता है।
  • यह मोटी ऊन के लिए प्रसिद्ध नस्ल है

3. चोकला / शेखावाटी /छापर नस्ल – झुंझुनू, सीकर,चूरू।

  • यह सर्वश्रेष्ठ ऊन देने वाली नस्ल है
  •  इस नस्ल की भेड़ को भारत की मेरिनो कहा जाता है।

4. सोनाड़ी नस्ल – उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा

  • यह सबसे लम्बे कान वाली नस्ल है
  • इसे चनोथर उपनाम से भी जाना जाता है।

5. पुंगल नस्ल – पश्चिमी बीकानेर जैसलमेर, नागौर ।

6. मगरा नस्ल – बीकानेर, जैसलमेर, नागौर ।

  • इसे बीकानेरी चोकला / नागौर की चोकला भी कहते हैं।

7. नाली नस्ल – गंगानगर, हनुमानगढ़

8. जैसलमेरी नस्ल – जैसलमेर

  • जैसलमेरी नस्ल भेड़ की सर्वाधिक ऊन देने वाली नस्ल है

9. खेरी नस्ल – जोधपुर, पाली, सिरोही

भेड़ों की विदेशी नस्लें

  1. रूसी मैरिनो नस्ल – टोंक, सीकर, जयपुर
  2. रेडबुल नस्ल –  टोंक
  3. कोरिडेल नस्ल – टोंक
  4. डोर्सेट नस्ल  – चित्तौड़गढ़

नोट –

  • ऊन विश्लेषण प्रयोगशाला बीकानेर में है।
  • भेड़ अनुसंधान केंद्र सुजानगढ़ व मालपुरा में है।

● ऊंट की नस्ल

  • ऊंट को मरुस्थल का जहाज कहा जाता है
  • देश में राजस्थान का ऊँट उत्पादन में प्रथम स्थान है।
  • जैसलमेर के नाचना गांव का ऊँट संपूर्ण देश में प्रसिद्ध है ।
  • राजस्थान में सर्वाधिक ऊँट जैसलमेर में पाए जाते हैं तथा न्यूनतम प्रतापगढ़ में पाए जाते हैं।
  • 19 सितम्बर, 2014 को राजस्थान सरकार ने ऊँट को राज्य पशु घोसित किया।
  • जोधपुर के फलौदी के निकट गोमठ का ऊँट सवारी की दृष्टि से अच्छा माना जाता हैं।
  • जैसलमेर की जैसलमेरी नस्ल तेज धावक नस्ल है
  • ऊँटों में सर्रा रोग पाया जाता है।
  • प्रमुख नस्लें:- जैसलमेरी, बीकानेरी, गोमठ, नाचना, अलवरी तथा कच्छी ।

● घोड़े की नस्ल-

  • देश में राजस्थान का तीसरा स्थान है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक घोड़े बीकानेर में मिलते है जबकि सबसे कम डूंगरपुर में मिलते हैं।
  • मालाणी घोड़े की नस्ल बाड़मेर में सिवाणा व गुडा मालानी क्षेत्र में पाई जाती है।
  • मारवाड़ी घोड़े की नस्ल जोधपुर में पाई जाती है।
  • मेवाड़ी घोड़े की नस्ल उदयपुर में पाई जाती है।
  • कठियावाडी घोड़े की नस्ल सिरोही में पाई जाती है।
  • जोहबीड़, बीकानेर में केंद्रीय अश्व अनुसंधान एवं प्रजनन केंद्र स्थापित किया गया है।

● गधे की नस्ल –
देश में राजस्थान का प्रथम स्थान हैं।
– राजस्थान में सबसे अधिक गधों की संख्या बाड़मेर में है व सबसे कम टोंक में है।

● महत्वपूर्ण तथ्य-

  • दुग्ध उत्पादन में राजस्थान का देश में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा स्थान है।
  • ऊन उत्पादन में राजस्थान का देश में प्रथम स्थान है।
    – सर्वाधिक ऊन उत्पादक जिले :-
    1. जोधपुर
    2. बीकानेर
    3. नागौर
  • सबसे कम उन उत्पादके जिला – झालावाड़ ।
  • एशिया की सबसे बड़ी ऊन मंडी – बीकानेर ।
  • सर्वाधिक दूध उत्पादक जिला – जयपुर
  • केंद्रीय पशुधन विकास बोर्ड जोधपुर में स्थित है इसकी स्थापना 1987 में की गई।
  • राजस्थान का पहला गौमूत्र बैंक सांचौर (जालौर) में स्थित है।
  • गौमूत्र से फिनाइल बनाने का राज्य का प्रथम संयंत्र हिंगोनिया जयपुर में स्थित है।
  • राज्य का पहला पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर में स्थित है।
  • पहला निजी क्षेत्र का पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय अपोलो कॉलेज, जयपुर में स्थित है।
  • पहला मत्स्य अभयारण्य:- बड़ी तालाब (उदयपुर)
  • राज्य में सबसे बड़ा मछली उत्पादक बांध :- कानोता (जयपुर)
  • राज्य का एकमात्र पक्षी चिकित्सालय :- जयपुर ।
  • राजस्थान पशुपालन विभाग:- जयपुर । इसकी स्थापना 1957 में हुई।
  • भेड़ एवं प्रशिक्षण संस्थान:- जोधपुर ।
  • भेड़ एवं शिक्षण संस्थान:- जयपुर ।
  • गाय की सर्वश्रेष्ठ नस्ल:- राठी ।
  • भैंस की सर्वश्रेष्ठ नस्ल:- मुर्राह ।
  • बकरी की सर्वश्रेष्ठ नस्ल:- जखराना ।
  • भेड़ की सर्वश्रेष्ठ नस्ल:- चोकला (भारतीय मेरीनो)
  • सर्वाधिक ऊन देने वाली भेड़ की नस्ल :- जैसलमेरी भेड़ ।
  • सर्वाधिक लंबी ऊन देने वाली भेड़ की नस्ल:- मगरा ।
  • ऊँट की सर्वश्रेष्ठ नस्ल:- नाचना ( जैसलमेर)
  • भार ढोने के लिए उपयुक्त ऊँट की नस्ल : – बीकानेरी ऊँट ।
  • राजस्थान में देश के सर्वाधिक ऊंट, बकरियां, गधे पाये जाते हैं।
  • राजस्थान में सर्वाधिक पशुधन बाड़मेर में जबकि न्यूनतम जैसलमेर में हैं।
  • राजस्थान में सर्वाधिक पशु घनत्व राजसमंद हैं।
  • तथा न्यूनतम पशु घनत्व जैसलमेर में हैं।
  • 2 अक्टूबर 2016 से ऊंट प्रजनन प्रोत्साहन योजना शुरू की गई।
  • 2010 में राज्य का एकमात्र पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर में स्थापित किया गया है।
  • स्पर्श योजना दुधारू पशुओं के लिए है।
  • मत्स्य प्रशिक्षण विद्यालय उदयपुर में स्थित है।
  • गोपाल योजना 2 अक्टूबर 1990 से दक्षिण पूर्व के 10 जिलों में चल रही है। यह योजना पशुपालकों के लिए है।
  • कामधेनु योजना गौशाला में उन्नत नस्ल के प्रजनन केंद्र बनाने के लिए 1997 – 98 में में इसे शुरू किया गया ।
  • प्रथम भेड़ एवं बकरी प्रजनन नीति 2013 में जारी की गई।
  • केंद्रीय पशु प्रजनन केंद्र:- सूरतगढ़
  • राष्ट्रीय ऊँट अनुसंधान केंद्र – जोहड़बीड़, बीकानेर
    – स्थापना- 5 जुलाई, 1984
    – राज्य की प्रथम केमल डेयरी।
  • केन्द्रीय भेड़ व ऊन अनुसंधान केंद्र- अविकानगर, टोंक।
    – स्थापना – 16 नवम्बर, 1962
  • बकरी प्रजनन फार्म:- रामसर, अजमेर
  • सूअर प्रजनन फार्म:- अलवर, अजमेर(प्रस्तावित)
  • भेड़ प्रजनन फार्म:- फतेहपुर, सीकर ।
  • भैंस प्रजनन केंद्र:- वल्लभनगर (उदयपुर ) में स्थित है।
  • आलम जी का धौरा बाड़मेर में स्थित है तथा यह घोड़ों का पवित्र स्थान माना गया है।
  • मुख्यमंत्री पशु धन निः शुल्क दवा योजना की शुरुआत 15 अगस्त, 2012 में की गई।

 ● प्रमुख पशु मेले –

1. वीर तेजाजी पशु मेला – परबतसर (नागौर)

  • श्रावण मास की पूर्णिमा से भाद्रपद की आवश्यकता तक।
  • यह आय की दृष्ठि से राजस्थान का सबसे बड़ा मेला है
  • प्रमुख नस्लें – नागौरी, परबतसरी

2. श्री रामदेव पशुमेला:- मानासर ( नागौर)

  •  माघ शुक्ल 1 से माघ शुक्ल 15 तक ।

3. श्री बलदेव पशुमेला – मेड़तासिटी ( नागौर)

  • चेत्र सुदी 1 से चैत्र सुदी 15 तक ।

4. श्री मल्लीनाथ पशुमेला – तिलवाड़ा (बाड़मेर)

  • चैत्र बदी ग्यारस से चैत्र सुदी ग्यारस तक ।
  • यह राजस्थान का सबसे प्राचीन पशुमेला है
  • प्रमुख नस्लें – थारपारकर, कांकरेज, मालाणी

5. गोमती सागर पशुमेला – झालरापाटन (झालावाड़)

  • बैशाख सुदी तेरस से जेठ बदी पंचम तक ।
  • प्रमुख नस्लें – मालपुरी, जमनापरी, सोनाड़ी

6. चंद्रभागा पशुमेला – झालरापाटन (झालावाड़)

  • कार्तिक सुदी ग्यारस से मंगसर बदी पंचम तक ।
  • प्रमुख नस्लें – मालपुरी, जमनापरी, चनोथर

7. गोगामेड़ी पशुमेला – गोगामेड़ी (हनुमानगढ़)

  • श्रावण सुदी पूनम से भादवा सुदी पूनम तक।
  • यह मेला राजस्थान का सबसे लंबा चलने वाला पशुमेला है
  • प्रमुख नस्लें – राठी, मुर्रा, नाली

8. जसवंतपुर पशुमेला – भरतपुर

  • आसोज सुदी पंचम से आसोज सुदी चौदस तक।
  • प्रमुख नस्लें – मेवाती, हरियाणवी, भदावरी, रथ और बारबरी

9. पुष्कर पशुमेला / कार्तिक पशुमेला – पुष्कर (अजमेर)

  • कार्तिक शुक्ल अष्टमी से माघ शीर्ष कृष्णा दूज तक ।
  • यह मेला पशुओं की संख्या की दृष्ठि से राजस्थान का सबसे बड़ा पधुमेला है
  • प्रमुख नस्लें – गीर

10. महाशिवरात्रि पशुमेला – करौली

  • फाल्गुन कृष्ण 14 तक ( शिवरात्रि के पर्व पर) ।

11.बहरोड़ पशु मेला – बहरोड (अलवर) 

  • प्रमुख नस्लें – मुर्राह 

12.बाबा रधुनाथ पुरी पशु मेला – सांचौर (जालौर )

13. सेवडिया पशु मेला – रानीवाडा (जालौर)

 

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